Monday 28 June 2021

पुलिस के सिपाही से by 'पाश'

नमस्कार मित्रों,
आज इस ब्लॉग की ये दूसरी पोस्ट है जो साहित्य से संबंधित है. समय की मांग के हिसाब से आज जिस कविता को चुना गया है वो है क्रांतिकारी कवि पाश की कविता 'पुलिस के सिपाही से'

कवि:
अवतार सिंह संधू 'पाश'
जन्म - 9 सितंबर 1950   
            तलवंडी सलेम (जालंदर)
पाश साहब ने मात्र 15 साल की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था।  वो मुलत: पंजाबी में लिखा करते थे। उन्होंने ऐसे जमीनी मामलों को जिनकी चिंता सियासत को कभी न हुई; हथियार बनाकर कविताओं में ऊगा दिए थे। 
1967 में पश्चिमी बंगाल के नक्सलवाड़ी गांव से शुरू हुए किसान विद्रोह में भाग लिया।
1969 झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया।  यहीं जेल में ही युग-प्रवर्तक व नई धारा के प्रमुख प्रतिनिधि कवि पाश का जन्म कवि के रूप में हुआ।  इनकी पुस्तक "लौहकथा" जेल से लिखी गयी कविताओं का एक संग्रह है। 
1971 में जेल से रिहा हुए और साहित्य के क्षेत्र में बेबाक़ लिखने लगे। और अनेकों बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। 
पाश जिंदगी के सही मायने के कितने करीब थे इन पंक्तियों से जान सकते हैं-

हम गीतों जैसी- गजर के 
बेताब आशिक हैं

वो दबाये और हक़ छीने गए गरीब व मध्यमवर्गीय लोगों की आवाज़ बने और उन्हें एक करने की कोशिस की-

हम अब सिर्फ़ उन के लिए ख़तरा हैं 
जिन्हें दुनियां में बस ख़तरा ही ख़तरा है 

23 मार्च 1988 को ख़ालिस्तानी आंतकवादियों ने कवि पाश की कायरतापूर्ण हत्या कर दी।  
शायद पाश ख़तरनाक कवि थे बार-बार जेल और पुलिस की यातनाएँ प्रमाण है। उनकी कविताएं आज भी सियासत को सही दिशा दिखाने और गलत करने पर मुँह तोड़ ज़वाब देने का काम करती है व सत्ता से टकरा जाती है इसीलिए NCRT की किताब में शामिल उनकी कविता 'सबसे ख़तरनाख' हटाने की जदोजहद चलती रहती है।  
पर फिर भी उन्होंने सियासत से अपने साहित्यिक कार्यों के लिए 18 साल छीन ही लिए. 

आज की कविता की एक भूमिका- 

आओ सोचें 
कि आंदोलन में शामिल होने वाला शख़्स आंदोलन में शामिल क्यों होता है?
कि आंदोलन का हिस्सा बना शख़्स अपने पीछे क्या-क्या छोड़ आया है?
कि क्यों आंदोलन की वजह जाने बग़ैर उसकी आवाज़ कुचलने के लिए सत्ता; सिपाहियों को लाठीचार्ज का आदेश दे  देती है? इसीलिए तो जब आंदोलन अपनी रफ़्तार पकड़ता है तो लोगों की सबसे पहली भिड़ंत पुलिस के सिपाही से होती है 


सिपाही वर्दी के अंदर ये भूल जाता है कि उसके परिवार की तथा इन आंदोलनकारियों की समस्या एक ही है।  उसको याद दिलाने के लिए पाश लिखते हैं कि-
... तुम लाख वर्दी की ओट में 
मुझ से दूर खड़े रहो
लेकिन तुम्हारे भीतर की दुनिया 
मेरी बाजु में बाँह डाल रही है

आगे पाश लिखते हैं कि हम सत्ता के दुश्मन नहीं हैं वरन हम केवल अपनी चिंता व बात रखने आये हैं। अभी हम इतने ख़तरनाक़ नहीं हुए हैं। सरकार को हमारी बात सुन लेनी चाहिए अगर ऐसा नहीं हुआ तो समाज का सारा तबका आंदोलन से जोड़ना पड़ेगा और सिपाही को भी इससे जुड़ना होगा क्योंकि सिपाही भी सियासत की मार से अछूता नहीं है।  
 'गर नहीं सांझी तो बस अपनी
यह वर्दी ही नहीं सांझी 
लेकिन तुम्हारे परिवार के दुःख 
आज भी मेरे साथ सांझे हैं 

पाश का ये सवाल सिपाही को सोचने पर मजबूर कर ही देता है कि 

सिपाही बता, मैं तुम्हें भी 
इतना खतरनाख लगता हूँ?

ये कविता आंदोलन का हिस्सा बने एक आम आदमी और सिपाही के बीच की आपसी मार्मिक वार्तालाप है।  

TEXT - 

पुलिस के सिपाही से 

मैं पीछे छोड़ आया हूँ 
समंदर रोती बहनें 
किसी अनजान भय से 
बाप की हिलती दाढ़ी 
और सुखों का वर मांगती 
बेहोश होती मासूम ममता को 
मेरी खुरली पर बँधे 
बेजुबान पशुओं को 
कोई छाया में न बांधेगा 
कोई पानी न देगा 
और मेरे घर में कई दिन 
शोक में चूल्हा न जलेगा 

सिपाही बता, मैं तुम्हें भी 
इतना खतरनाख लगता हूँ?
भाई सच बता, तुम्हें 
मेरी छिली हुई चमड़ी 
और मेरे मुहं से बहते लहू में 
कुछ अपना नहीं लगता ?
तुम लाख दुश्मन कतारों में 
बढ़-चढ़कर शेखियां बघार लो 
तुम्हारे निद्रा-प्यासे नयन 
और पथराया माथा 
तुम्हारी फटी हुई निक्कर 
और उसकी जेब में 
तंबाकू की रच गयी जहरीली गंध 
तुम्हारी चुगली कर रहे हैं 
'गर नहीं सांझी तो बस अपनी
यह वर्दी ही नहीं सांझी 
लेकिन तुम्हारे परिवार के दुःख 
आज भी मेरे साथ सांझे हैं 

तुम्हारा बाप भी जब 
सर के चारे का गठ्ठर फेंकता है 
तो उसकी कसी हुई नसें भी 
यही चाहती हैं 
बुरे का सिर अब किसी भी क्षण 
बस कुचल दिया जाए 
तुम्हारे बच्चों को जब भाई 
स्कूल का खर्च नहीं मिलता 
तो तुम्हारी अर्धांगिनी का भी 
सीना फट जाता है 

तुम्हारी पी हुई रिश्वत 
जब तुम्हारा अंतस जलाती है 
तो तुम भी 
हुकूमत की साँस-नली बंद करना चाहते  हो 
जो कुछ ही वर्षों में खा गयी है 
तुम्हारी चंदन जैसी देह 
तुम्हारी ऋषियों जैसी मनोवृति 
और बरसाती हवा जैसा 
परिवार का लुभावना सुख 
तुम लाख वर्दी की ओट में 
मुझ से दूर खड़े रहो
लेकिन तुम्हारे भीतर की दुनिया 
मेरी बाजु में बाँह डाल रही है 
हम जो बिना संभाले आवारा रोगी बचपन को 
आटे की तरह गूंथते रहे 
किसी के लिए खतरा न बने 
और वे* जो हमारे सुख के बदले         (वे  = माँ-बाप )
बिकते रहे, नष्ट होते रहे 
किसी के लिए चिंता न बने 
तुम चाहे आज दुश्मनों के हाथ में लाठी बन गए हो 
पेट पर हाथ रख कर बताओ तो
कि हमारी जात को अब 
किसी से और क्या ख़तरा है?
हम अब सिर्फ़ उन के लिए ख़तरा हैं 
जिन्हें दुनियां में बस ख़तरा ही ख़तरा है 

तुम अपने मुहं की गालियों को 
अपने कीमती गुस्से के लिए 
संभालकर रखो- 
मैं कोई सफ़ेदपोश 
कुर्सी का बेटा नहीं हूँ 
इस अभागे देश का भाग्य बनाते 
धूल में लथपथ हज़ारों चेहरों में से एक हूँ 
मेरे माथे से बहती पसीने की धारा से 
मेरे देश की कोई भी नदी बहुत छोटी है 
किसी भी धर्म का कोई ग्रंथ 
मेरे जख़्मी होठों की चुप से अधिक पवित्र नहीं है 
तुम जिस झंडे* को एड़ियां जोड़         (झंडा  = तिरंगा )
सलामी देते हो 
हम शोषितों के किसी भी दर्द का इतिहास 
उसके तीन रंगों से बहुत गाढ़ा है 
और हमारी रूह का हर एक जख़्म 
उसके बीच के चक्र से बहुत बड़ा है 
मेरे दोस्त, मैं तुम्हारे किलोंवाले बूटों तले 
कुचला पड़ा भी 
माउंट एवरेस्ट से बहुत ऊँचा हूँ 

मेरे बारे में तुम्हारे कायर अफ़सर ने 
गलत बताया है 
कि मैं इस हुकूमत का 
मारक महादुश्मन हूँ 
नहीं, मैंने तो दुश्मनी की 
अभी पूनी भी नहीं छुई है 
अभी तो मैं घर की मुश्किलों के सामने 
हार जाता हूँ 
अभी तो मैं अमल के गढ़े 
कलम से ही भर देता हूँ 
अभी मैं दिहाड़ियों और जाटों के बीच की 
लरजती कड़ी हूँ 
मेरी दाईं बाजु होकर भी अभी तुम 
मुझसे बेगाने लगते हो 
अभी तो मुझे 
हज्जामों के उस्तरे 
खंजर में बदलने हैं 
अभी राज मिस्त्रियों की करंडी पर 
मुझे चंडी की वार लिखनी है
अभी तो मोची की सुम्मी 
ज़हर में भिगोकर 
चमकते नारों को जन्म देने वाली कोख में घुमानी है 

अभी धुम्मे बढ़ई का 
भभकता धधकता हुआ तेसा 
इस शैतान के झंडे से 
ऊँचा लहराना है 
अभी तो आने जाने वालों के 
जूठे बर्तन माँजते रहे लागी 
जुबलियों में- लाग लेंगें 
अभी तो किसी कुर्सी पर बैठे 
गिद्ध की नरम हड्डी को जलाकर 
'खुशिया' चूहड़ा हुक्के में रखेगा 

मैं जिस दिन सातों रंग जोड़कर 
इंद्रधनुष बन गया 
दुश्मन पर मेरा कोई वार 
कभी खाली न जायेगा 
तब झंडीवाली* कार के      (झंडीवाली = पार्टी का झंडा )
बदबूदार थूक के छींटे 
मेरी जिंदगी के चाव भरे 
मुहं पर न चमकेंगे 
मैं उस रौशनी के बुर्ज़ तक 
अकेला नहीं पहुँच सकता 
तुम्हारी भी जरूरत है 
तुम्हे भी वहां पहुंचना होगा 

हम एक काफ़िला हैं 
जिंदगी की तेज खुशबुओं का 
तुम्हारी पीढ़ियों की खाद 
इसके चमन में लगी है 
हम गीतों जैसी- गजर के 
बेताब आशिक हैं 
और हमारी तड़प में 
तुम्हारी* उदासी का नगमा भी है    (तुम्हारी = सिपाही की )

सिपाही बता, मैं तुम्हें भी 
इतना खतरनाख लगता हूँ?
मैं पीछे छोड़ आया हूँ... 


- अवतार संधू 'पाश'

AMAZON से इनकी कविताओं का संग्रह "पाश: सम्पूर्ण कविताएं" खरीद सकते हैं।  जिसका लिंक मैं यहां दे रहा हूँ।             



Thursday 17 June 2021

Spathiphyllum Wallisii/Peace Lily Plant

नमस्कार मित्रों,
यह ब्लॉग एक ऐसे विषय पर बनाया गया है जिसकी हमारे समाज और संस्कृति को आज बेहद जरूरत है. स्वच्छ वातावरणमानसिक विकास दोनों एक दूसरे के साथ गहनता से जुड़े हुए विषय हैं. मुख्यत: महामारी के इस दौर में इन दोनों विषयों की क्या प्रधानता रही किसी से छुपी नहीं है.
यह ब्लॉग प्रकृति का सहयोगी/ मित्र बनने में एक प्रयास भी है और  मानसिक विकास के आयाम को छूने का हौसला भी है.

इस ब्लॉग के अंदर पखवाड़ा में दो पोस्ट पब्लिश की जाएगी:-
१. Nature/ प्रकृति/स्वच्छ वातावरण/घर में पेड़-पौधों से संबंधित
२. Literature/ साहित्य यथा महान और नए कलमकारों की रचनाओं से संबंधित।

अब आज की पोस्ट-

Spathiphyllum Wallisii:

यह एक छोटा और बेहद खूबसूरत indoor/अंदरूनी पौधा है. इसको Peace Lily (पीस लिली) और spathe flower भी बोलते हैं. मूल रूप से यह एक दक्षिणी अमेरिकन पौधा है. इसका सफेद फूल बेहद मनमोहक और मन को सकूं देता है.  देखिये इस पौधे की कुछ तस्वीरें-







देखभाल :


तापक्रम (Temperature)

बढिया विकाश के लिए 22°C से 28 °C.

सर्दियों में ज्यादा ठंड से पौधे को बचाना चाहिए  

(Average room temperature’s are fine.)


प्रकाश की आवश्यकता (Light)

light में विकास अच्छा करता है लेकिन इस पौधे के लिए सीधी धूप हानिकारक है. आप इसको बालकनी या बरामदे में रख सकते हो जहाँ इसको प्रकाश मिलता रहे और सीधी धूप भी इस पर न आये.

(Direct sunshine can damage the plant. A mixture of light and shade is perfect.)

 

पानी देना (Watering)

वैसे तो इसको ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पडती लेकिन गर्मियों में रोज एक बार पानी डालना चाहिए.

पानी ज्यादा न डाले बस कि मिट्टी नम (सीली) रहे.

 

keep the soil moist ( not over watered)

 

मिट्टी (soil)

साधारण बगीचे वाली मिट्टी.

Normal garden soil


काट छांट (Pruning)

इस को काट छांट की आवश्यकता ही नहीं. बस सुखी हुई पत्तियों को पॉट में से हटा दें.

The plant rarely need pruning... well not at all. You have to Cut away only dying leaves



इस पौधे की ऊंचाई 45 से 60 cm होती है. 
इसके फूल की उम्र लगभग दो महीने होती है.

इस पौधे के लाभ:

  •  प्रदूषण कम करना: NASA और डॉ वोल्वर्टन के द्वारा एक अध्ययन इसलिए किया गया था कि यह पता लगाया जा सके कि पौधे हवा में से प्रदूषकों को कैसे हटाते हैं. मुझे प्रदूषकों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन कुछ पौधे हमें साँस लेने में मद्द्त करते हैं तो इससे बेहतर क्या हो सकता है.
  • यह पौधा हवा में से benzene, formaldehyde और trichloroethane जैसे प्रदूषक हटाने में सहायता करता है. अतः स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में सहायक होता है.
  • इस पौधे का कद छोटा होने की वजह से आप इसको जहां कहीं पर भी रखना चाहते हो रख सकते हो ये आराम से फिट हो जाता है. 
  • घर की सुंदरता को तो बढ़ता ही है साथ में आंतरिक शांति भी प्रदान करता है. 

खरीद :

आप इसे ऑनलाइन और नजदीकी ग्रीन नरसरी से खरीद सकते है. स्थानीय पहुंच के हिसाब से इसका मूल्य 200 से 400 रूपये प्रति प्लांट हो सकता है. अगर आप इसे ऑनलाइन खरीदना चाहते हो तो amzon से खरीद सकते हो-
जिसका लिंक मैं यहां दे रहा हूँ 





होली : राजस्थानी धमाल with Lyrics व नृत्य विशेष

हमारा देश खुशियाँ बाँटने व बटोरने का देश है इसी परम्परा के अंतर्गत अनेक त्योहार मनाये जाते हैं ये त्योहार धार्मिक महत्व के साथ साथ सांस्कृति...