Friday 11 February 2022

CYCLAMEN COUM : INDOOR FLOWER PLANT

इंडोर प्लांट्स में ये पौधा ख़ूबसूरती की बला है।  CYCLAMEN COUM एक बौनी प्रजाति का वह पौधा है जिसके हरेक भाग में प्रकृति के द्वारा ख़ूबसूरती उकेरी गयी है। आप इसकी वैलेंटाइन-दिल जैसी आकार की पत्तियां देखें, इसकी कोंपल, इसकी कलियाँ देखें या देखे इसके गुलाबे-इज़हार जैसे सुंदर प्यारे फूल।  देखते ही इस पौधे से आपको प्यार हो जायेगा। आओ दिखलाते हैं इसकी कुछ झलक.... 

सबसे पहले इसकी पत्तियों की ख़ूबसूरती का नजारा करियेगा-  











इसकी ऊपर निकलती हुई कलियों की शोभा-




इसके भांति भांति के रंग बिरंगे फूल... मनभावन फूल-








जॉन एलिया साब के ये दो शेर मुहब्बत करने वालों के नाम

कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं 
तोड़ लो फूल, फूल छोड़ो मत 

बागबाँ ! हम तो इस ख़याल के हैं 
देख लो फूल, फूल तोड़ो मत 

-जॉन एलिया

पौधे की सामान्य जानकारी :

यह पौधा ठंडे तथा सीलन भरे क्षेत्र में जल्दी व अच्छे से विकास करता है। इसके लिए गर्मियों में सुबह सुबह की तरोताज़ा हल्की धुप वाली जगह उचित है। यह पौधा 20℃ से 32℃ का तापमान तक सहन करने की क्षमता रखता है।  इस पौधे का आकार 5 से 7 इंच होता है। 
इसका बोटैनिकल नाम- CYCLAMEN PERSICUM (सिक्लेमेन परसिकम) है।
   
इसको गमलें में लगाने का तरीका-





जैसा की यह एक बौनी प्रजाति है तो इसके  लिए छोटा गलमला ( 5 से 6 इंच ) पर्याप्त है।  इस गमले की तली में ड्रेनेज हॉल जरूरी है।  लगाने के लिए मिटटी का वेल ड्रेन होना बहुत जरूरी है क्योँकि इस पौधे की जड़ों में पानी ठहरना नहीं चाहिए व मिट्टी के मिक्सर का अनुपात इस प्रकार का रखें- 
  • 50 % गार्डन सॉइल 
  • 20 % वर्मी कम्पोस्ट 
  • 20 % कोकोपिट 
  • 10 % LEAF MOULD (सूखे पत्तों की खाद)
 गमलों में लगाते समय इसकी जड़ों को हिलाएं नहीं क्यूंकि इसकी जड़ें बड़ी नाजुक होती है वो टूट सकती हैं।

इस पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता तो नहीं होती लेकिन मिटटी को नम (MOIST) रखना बहुत जरूरी है.
इस पौधे को कटाई छंटाई (PRUNE) की व RE-POT करने की जरूरत नहीं पड़ती।

इसमें पतझड़ से लेकर वसंत तक फूल खिलते हैं.... चटक लाल, गुलाबी, सफ़ेद, बैंगनी रंगों के फूल। 

इसको घर के अंदर लगाने का एक बेहतरीन लाभ प्राप्त होगा। आपको यह पौधा केवल इसकी ख़ूबसूरती के लिए ही नहीं  बल्कि दुनियां में व्याप्त अनेक परिस्थितियों की वजह से हो रहे  चिड़चिड़े स्वभाव को शांत व निर्मल बनाने के लिए लगाना चाहिए। जी हाँ... इस पौधे को देखने मात्र से स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है इसका अपना कोमल व शांत स्वभाव आपके मानसिक स्वभाव को प्रभावित करता है। जब भी इसको और इसके खिले फूलों को देखने का सौभाग्य मिलता है तो दिल सकूँ से भर जाता है।  

इसकी मनमोहक छवि को देख कर ऐसे लगता जैसे किसी चित्रकार ने आँखे बंद कर अपनी कल्पना में जी लगाकर कोई चित्र सोचा हो और प्रकृति ने उसकी मनोकामना पूरी करने के लिए ये पौधा धरा पर ऊगा दिया हो।  





General Information:
  • Grow in cool and humid environment.
  • Botanical name- Cyclamen Persicum
  • Type- Perennial
  • size of plant- 5 to 7 inches tall and wide 
  • soil- moist and well- drained 
  • Bloom time- Fall to Spring 
  • Flower Color- Pink, White, Red, Violet 
  • Light- In Winter - indirect and bright and in Summer when the plant is dormant it's best to keep it in cool and dark spot with good air circulation. 
  • This plant does not need to be pruned and repotted.
  • Keep the soil moist, just add as much water to it. 
One of the great benefits of planting this plant is that it makes your irritable nature calm and gentle. Seeing its beautiful flowers fills the heart with ease.It's rounded heart-shaped leaves and flowers like proposed rose both are part of its beauty.





Thank You.
आपको ये पोस्ट कैसी लगी निचे कमेंट देकर जरूर बताएं। अगर आपको ये पोस्ट और मेरा काम अच्छा लगा हो तो  मेरे इस ब्लॉग को फॉलो कर सकते हैं ताकि आपको ऐसी ही जानकारी मिलती रहे।  दोस्तों ये एक ग्रीन प्लेनेट मिशन भात है इसके साथ जरूर जुड़ें। 
                                                                              
                                                                                                   By- Rohit . 

                                         
   


   

Saturday 5 February 2022

समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला



रचनाकार रेणु बाला जी का परिचय 


 "समय साक्षी रहना तुम" पुस्तक खुद को माँ सरस्वती की सुता मान उन्हीं के वरदान से रेणु बाला जी ने अनुपम कृतियों का सृजन कर  इनका संग्रह हिंदी कविता जगत को अद्वितीय भेंट है. 

पांच भागों में विभक्त ये पुस्तक संयुक्त रूप से हमारी जिंदगी से जुड़े हर पहलू से संबंद्ध रखती है, ये पांच भाग निम्न है-
१. वंदना       २. रिश्तों के बंधन     ३. कुदरत के पैगाम       ४. भाव प्रवाह        ५ . सम सामयिक और अन्य 

किताब की शुरुवात माँ सरस्वती की वंदना से होती है जो ममत्व के भाव में लिखी गयी है कवयित्री गुरुवर के आशीर्वाद से निहाल होकर अपने गाँव और मिटटी को भी नमन करती है और इस मिटटी को भी माँ का दर्जा मिला है.
वो मिटटी जो एक बेटी को हमेशा खुशियों से भर देती है वही बेटी जब उस धरा माँ की ख़ुशहाली के लिए दुआ करती है तो एक पावन अनुभूति पाठकों के मन में जागृत होती है। 

इस इस पुस्तक में रिश्तों को एक आत्मीय लगाव व उनकी गहरी समझ के साथ बयाँ किये गए हैं।  यहां कभी माँ का प्यार एक बिटिया की माँ बनकर समझना ... कभी शेष बची माँ को देखकर पिता की भूमिका का महत्व समझना...  तो कभी यहां बिटिया 'माँ' बोलकर ममता को पूरी करती है।  

कवयित्री के हृदय में एक शिशु के प्रति कितना वात्सल्य और विस्मय है देखिये इन पंक्तियों में-
     "सीखे कोई हृदय से लग 
       तुमसे पीर हिया की हरना.... 
     
      क्या जानो तुम अभिनय करना 
     जानो बस मन आनंद भरना 
    अनभिज्ञ धुप-छाँव और ज्ञान से 
     जानो ना बातें छल की 
    फिर भी कैसे सीख गए तुम 
     खुद ही प्रेम की भाषा पढ़ना ?"

प्रकृति के अनेक रंगों को हमारे जीवन के ताने-बाने में गूंथने का काम कवयित्री ने जिस अंदाज में निभाया है वह अद्भुत है।  " चलो नहाएँ बारिश में " नामक कविता आपकी कई यादें ताज़ा न करदे तो कहना।

मेरा ख्याल है कि प्रेम भाव में रची बसी कविताएं इस पुस्तक की आत्मा है-
 सोचो प्रेम में इंतज़ार का खत्म होना और फिर ये पंक्तियाँ कि-  

"अचानक एक दिन खिलखिलाकर 
हंस पड़ी थी चमेली की कलियाँ 
और आवारा काले बादल 
लग गए थे झूम झूम के बरसने 
देखो तो द्वार पर तुम खड़े थे।''  

प्रेम में एकांकीपन और दूरियों के दिन कैसे बीतते हैं-

"जब तुम ना पास थे 
खुद के सवाल थे 
अपने ही जवाब थे 
चुपचाप जिन्हें सुन रहे 
जुगनू,तारे,महताब थे। "

प्रेम में बगैर कोई सवाल के प्रेमिका का अस्तित्व स्वीकार होने का मतलब तलाश ख़त्म होना होता है।  'तुम्हारी चाहत' कविता से ये पंक्तियाँ कि-
"ये चाहत नहीं चाहती 
मैं बदलूँ और भुला दूँ अपना अस्तित्व..." 


प्रेम में समर्पण को बयाँ करती हुई पंक्तियाँ-

"सुनो! मनमीत तुम्हारे हैं 
मेरे पास कहाँ कुछ था 
सब गीत तुम्हारे हैं"

प्रेम के लिए त्याग करने वाला भी महान होता है जिसे अक्सर भुला दिया जाता है। सिद्धार्थ का बुद्ध हो जाने के पीछे यशोधरा का त्याग था तब कवयित्री लिखती हैं-

" बुद्ध की करुणा में सराबोर हो 
तू बनी अनंत महाभागा 
जैसे जागी थी, तू कपलायिनी 
ऐसे कोई नहीं जागा।  "


एक जोगी स्वयं का दुःख मानकर दुनियां का दुःख गाता फिरता है और कवयित्री का कोमल हृदय ये जानने के लिए बैचेन है कि-
"इश्क़ के रस्ते खुदा तक पहुंचे 
क्या तूने वो पथ अपनाया जोगी "

रेणु जी की ये किताब दुनियां में हो रही उथल-पुथल और विषाक्त भावों को भुला देती है। कवयित्री  वेदना की कल्पना मात्र से डर कर कहती हैं-

'सुन, ओ वेदना' नामक कविता से ये पंक्तियाँ 

"ना रुला देना मुझे 
ना फिर सतना मुझे 
दूर किसी जड़ बस्ती में 
जाकर के बस जाना तुम"

धार्मिक दंगों से उभरने को एकता की मिसाल देती है 'शुक्र है गांव में ' नामक कविता और इस कविता का एक पात्र रहीम चचा-

"बरगद से चाचा हैं 
चाचा सा बरगद है 
दोनों की छाँव 
गाँव की सांझी विरासत है। "
 
प्रेम रस की कविताओं के बीच में कुछ-एक पंक्तियों का भाव पूरी कविता के भाव से अलग होता है तब मानों कविता की लय टूट गयी हो लेकिन जब कवयित्री उन भावों का मेल कराती हैं तब फूटता है एक वास्तविक सच्चा इश्क़ और इस इश्क़ के नशे में डूबी हुई जोगन की पुकार।
ये पुस्तक कवयित्री का किसी एक धर्म विशेष से जुड़ाव होने की छाप कई जगह पर छोड़ती रही है फिर भी भाषा शैली एकदम निर्मल व सरल है जिसमें अलंकारों का प्रयोग बहुत कम देखने को मिलता है.
पाठकों को ये किताब दुनियां को एक अलग व सकारात्मक नजरिये से देखने को प्रेरित करती है मानों दुनियां में सब अच्छा ही अच्छा हो रहा हो और हर जगह शांति ही छाई हुई है।रेणु जी की अविस्मरणीय और सादगी से उकेरी गई कविताएं उद्वेलित मन को सही दिशा देने में कामयाब रहती हैं। 
अद्भुत    अद्वितीय      अनोखी प्यारी सी किताब... वाह 

"अपने अनंत प्रवाह में बहना तुम 
पर समय साक्षी रहना तुम" 


अप्रतिम उपहार के लिए आभार बहना 



होली : राजस्थानी धमाल with Lyrics व नृत्य विशेष

हमारा देश खुशियाँ बाँटने व बटोरने का देश है इसी परम्परा के अंतर्गत अनेक त्योहार मनाये जाते हैं ये त्योहार धार्मिक महत्व के साथ साथ सांस्कृति...